वास्तु शास्त्र भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो न केवल घर की संरचना और सजावट को ध्यान में रखता है, बल्कि घर में नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए कई पारंपरिक दिशानिर्देश भी देता है। एक आम सवाल जो वास्तु से जुड़ा होता है, वह यह है कि क्या पुरखों की तस्वीरों को घर के मंदिर में रखना चाहिए। इस लेख में हम इस सवाल का उत्तर जानेंगे, साथ ही इसके पीछे के वास्तु शास्त्र के दृष्टिकोण को भी समझेंगे।
वास्तु शास्त्र में मंदिर का महत्व
मंदिर का स्थान घर में पवित्रतम माना जाता है। यह स्थान देवी-देवताओं के आशीर्वाद प्राप्त करने और घर में शांति और समृद्धि बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होता है। मंदिर का उद्देश्य सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करना और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति दिलाना होता है। इसलिए, मंदिर में रखी गई वस्तुएं और तस्वीरें भी इस सकारात्मक ऊर्जा को प्रभावित कर सकती हैं।
क्या पुरखों की तस्वीरें मंदिर में रखनी चाहिए?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पुरखों की तस्वीरों को मंदिर में रखने के बारे में मिश्रित विचार हैं। आम तौर पर, पुरखों की तस्वीरों को घर के पूजा स्थल में रखने से बचना चाहिए, क्योंकि यह स्थान देवी-देवताओं के लिए समर्पित होता है। यदि हम पुरखों की तस्वीरों को मंदिर में रखते हैं, तो यह स्थान को भावनात्मक और मानसिक रूप से भारी बना सकता है और इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ सकता है।
पुरखों की तस्वीरें कहां रखें?
वास्तु शास्त्र में यह सलाह दी जाती है कि पुरखों की तस्वीरों को पूजा कक्ष के बाहर, किसी अन्य स्थान पर रखा जाए, जैसे कि घर के उत्तर-पश्चिम या पश्चिमी दिशा में। इस दिशा में पुरखों की तस्वीरें रखने से यह सकारात्मक ऊर्जा को प्रभावित नहीं करती हैं और घर के अंदर शांति बनी रहती है।
पुरखों की तस्वीरों के फायदे
- आशीर्वाद: पुरखों की तस्वीरें हमारे परिवार के पूर्वजों के आशीर्वाद को महसूस करने का एक तरीका होती हैं। इन तस्वीरों को सही दिशा में रखने से हम उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
- पारिवारिक संबंध: पुरखों की तस्वीरों के माध्यम से हम अपने परिवार और संस्कृति के साथ जुड़ सकते हैं, और परिवार की परंपराओं को बनाए रख सकते हैं।
- स्मृतियाँ: पुरखों की तस्वीरें हमारे परिवार के इतिहास और धरोहर को संरक्षित करने का एक तरीका हैं, जिससे हम अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं।
निष्कर्ष
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पुरखों की तस्वीरों को मंदिर में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि मंदिर का उद्देश्य देवी-देवताओं के लिए होता है। हालांकि, उन्हें घर के अन्य उपयुक्त स्थानों पर रखा जा सकता है, जैसे उत्तर-पश्चिम या पश्चिम दिशा में। यह सुनिश्चित करता है कि घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे, और साथ ही परिवार के पुरखों का आशीर्वाद भी मिलता रहे।