बच्चे हमारे समाज का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं, और उनकी मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम उनके साथ सकारात्मक और सहायक तरीके से बात करें। कभी-कभी हम गुस्से में या बिना सोचे-समझे बच्चों से ऐसी बातें कह देते हैं, जो उनके आत्मविश्वास और मानसिक स्थिति को नुकसान पहुँचा सकती हैं। आइए जानते हैं उन 8 बातों के बारे में जिन्हें बच्चों से कभी नहीं कहना चाहिए:
- “तुम कुछ नहीं कर सकते”
जब हम बच्चे से यह कहते हैं, तो हम उनकी कोशिशों और मेहनत को नकारते हैं। यह वाक्य उनके आत्मविश्वास को चोट पहुँचाता है और उन्हें यह विश्वास दिलाता है कि वे कभी भी सफल नहीं हो सकते। बच्चों को प्रेरित करना और उनके प्रयासों की सराहना करना चाहिए, ताकि उनका आत्मविश्वास बढ़े। - “तुम बहुत बेवकूफ हो”
इस तरह की बातों से बच्चे को यह संदेश मिलता है कि वे कम समझदार हैं और वे खुद को दूसरों से कम समझते हैं। इससे बच्चे में हीन भावना उत्पन्न हो सकती है। बच्चों से इस तरह की आलोचना करने की बजाय, हमें उनके सुधारात्मक कदमों को समझने और उन्हें मार्गदर्शन देने की आवश्यकता है। - “तुम मेरे जैसा क्यों नहीं बन सकते?”
हर बच्चा अद्वितीय होता है, और उसकी अपनी क्षमताएँ और रुचियाँ होती हैं। जब हम यह कहते हैं, तो हम बच्चे को यह महसूस कराते हैं कि उसे अपनी असली पहचान को छोड़कर किसी और की नकल करनी चाहिए। बच्चों को उनके व्यक्तित्व और रुचियों को समझने और उन्हें स्वीकार करने की प्रेरणा देनी चाहिए। - “तुम्हें शर्म नहीं आती?”
यह वाक्य बच्चों को शर्मिंदगी और अपराधबोध की भावना दे सकता है। जब हम बच्चे को यह कहते हैं, तो हम उसकी भावनाओं को नजरअंदाज कर रहे होते हैं। इस बजाय, हमें उन्हें सही मार्गदर्शन और समझ देने की जरूरत है ताकि वे अपनी गलतियों से सीख सकें। - “तुम कभी अच्छा नहीं कर सकते”
यह वाक्य बच्चों को असफलता का भय और निराशा में डाल सकता है। यदि हम किसी बच्चे को यह कहते हैं, तो हम उसके मन में यह विचार डाल सकते हैं कि वह किसी भी काम में सफल नहीं हो सकता। इसके बजाय, हमें बच्चे के प्रयासों की सराहना करनी चाहिए और उन्हें और अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। - “तुम्हारी तरह की लड़कियाँ/लड़के नहीं होते”
बच्चों को लिंग के आधार पर तुलना करना या यह कहने से उनके मानसिक विकास पर बुरा असर पड़ता है। हर बच्चा अपनी पहचान में स्वतंत्र होता है, और इसे समझने की जरूरत है। बच्चों को यह समझाना चाहिए कि वे जो हैं, वही सबसे अच्छा हैं, बिना किसी बाहरी मानक के। - “तुम बहुत आलसी हो”
बच्चों से यह कहना उनके आत्म-सम्मान को नष्ट कर सकता है। अगर बच्चे आलसी हैं, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि उन्हें प्रेरणा और मार्गदर्शन की आवश्यकता है, न कि आलोचना की। सकारात्मक तरीके से उन्हें समझाकर उनके आलस्य को दूर किया जा सकता है। - “तुमने यह काम सही नहीं किया, तुम्हारे जैसे बच्चे कभी ठीक नहीं कर सकते”
यह वाक्य बच्चों में भय और चिंता का कारण बन सकता है। इससे उनकी मानसिक स्थिति कमजोर हो सकती है और वे नकारात्मक विचारों से ग्रस्त हो सकते हैं। हमें बच्चों से यह कहना चाहिए कि वे अपनी गलतियों से सीख सकते हैं और सुधार कर सकते हैं, ताकि वे आगे बढ़ सकें।
निष्कर्ष:
बच्चों के साथ संवाद करते वक्त यह जरूरी है कि हम उनकी भावनाओं और मानसिक स्थिति का ध्यान रखें। जो कुछ भी हम बच्चों से कहते हैं, वह उनके आत्मविश्वास, मानसिक स्थिति और भविष्य पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। इसलिए, हमें सकारात्मक, सहायक और प्रेरक भाषा का प्रयोग करना चाहिए, ताकि हम उनके विकास में मदद कर सकें और उन्हें आत्मनिर्भर और खुशहाल व्यक्तित्व बनाने की दिशा में प्रेरित कर सकें।