Monday, February 24, 2025
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मेरे पुराने शहर बिहार शरीफ की यादों से भरी यात्रा

समय के साथ बहुत कुछ बदल जाता है, लेकिन कुछ जगहें और उनसे जुड़ी यादें दिल में हमेशा ताजा रहती हैं। हाल ही में, मुझे अपने पुराने शहर बिहार शरीफ जाने का मौका मिला, जहां मैंने अपना बचपन बिताया था। यह यात्रा सिर्फ एक सफर नहीं, बल्कि पुरानी यादों को फिर से जीने का अवसर था।

यात्रा की शुरुआत

मैंने अपनी यात्रा की शुरुआत उत्सुकता और उत्साह के साथ की। जैसे-जैसे ट्रेन पटना से आगे बढ़ी और नालंदा जिले की ओर बढ़ी, मेरा मन पुराने दिनों की यादों में खोने लगा। जब बिहार शरीफ स्टेशन पर उतरा, तो वहाँ की जानी-पहचानी हवा ने मुझे बीते दिनों में वापस खींच लिया।

बचपन की गलियां और बाजार

सबसे पहले, मैं अपने पुराने मोहल्ले की ओर बढ़ा। वहाँ की तंग गलियां, जहां मैंने अपने दोस्तों के साथ घंटों खेला था, आज भी वैसी ही थीं, लेकिन समय ने उनमें कुछ बदलाव जरूर किए थे। मोहल्ले की मिठाई की दुकान, जहाँ से मैं हमेशा गर्मागरम जलेबी और समोसा खरीदा करता था, अब भी वही स्वाद लिए हुए थी।

फिर मैं बिहार शरीफ के प्रसिद्ध भरथरी हिल (पहाड़ी) की ओर गया, जहां से पूरे शहर का खूबसूरत नज़ारा देखने को मिला। यह वही जगह थी जहाँ बचपन में हम दोस्त घंटों बैठकर कहानियाँ साझा किया करते थे।

ऐतिहासिक धरोहरों की सैर

बिहार शरीफ सिर्फ मेरा पुराना शहर ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों का भी संगम है। मैंने मलिक इब्राहिम बायां मकबरा और शेख शरफुद्दीन याहिया मनेरी की दरगाह का दर्शन किया, जो आध्यात्मिक शांति का अनुभव कराते हैं।

इसके अलावा, मैंने नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर भी देखे, जो बिहार शरीफ से ज्यादा दूर नहीं हैं। यह स्थान ज्ञान की विरासत को दर्शाता है और इतिहास प्रेमियों के लिए स्वर्ग के समान है।

बदलते शहर का नया रूप

जब मैं शहर में घूम रहा था, तो यह देखकर खुशी हुई कि विकास ने यहाँ अपनी छाप छोड़ी है। पहले जो संकरी सड़कें थीं, वे अब चौड़ी हो चुकी थीं। नए मॉल, रेस्तरां और कैफे भी खुल चुके थे। हालांकि, पुराने बाजार की रौनक और गहमागहमी आज भी वैसी ही थी।

यात्रा की समाप्ति और भावनात्मक क्षण

यह यात्रा मेरे लिए सिर्फ एक टूर नहीं, बल्कि एक भावनात्मक सफर था। जब मैं वापस लौटने लगा, तो मन में एक अजीब सी उदासी थी। ऐसा लगा जैसे बचपन फिर से जी लिया हो। बिहार शरीफ सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि मेरी यादों का घर है, जहाँ मेरा बचपन बसा हुआ है।

इस यात्रा ने मुझे एहसास कराया कि भले ही हम कितनी भी दूर चले जाएं, लेकिन हमारा दिल हमेशा उस जगह से जुड़ा रहता है, जहाँ हमारी सबसे खूबसूरत यादें बनी होती हैं। बिहार शरीफ की इस यात्रा ने मुझे फिर से पुरानी यादों की गलियों में ले जाकर, मुझे समृद्ध कर दिया।

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