माँ की डायबिटीज़, विशेषकर गर्भावस्था के दौरान, नवजात शिशु के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। खासकर शिशु का दिल, जो अभी विकसित हो रहा होता है, उसके लिए यह एक गंभीर खतरा बन सकता है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे माँ की डायबिटीज़ नवजात के दिल को प्रभावित कर सकती है, इसके पीछे के कारण क्या हैं और विशेषज्ञ इस बारे में क्या कहते हैं।
डायबिटीज़ और गर्भावस्था: क्या है कनेक्शन?
गर्भवती महिलाओं में डायबिटीज़ की समस्या आमतौर पर दो प्रकार की होती है:
- टाइप 1 डायबिटीज़ – जब शरीर इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता।
- गेस्टेशनल डायबिटीज़ – यह गर्भावस्था के दौरान उत्पन्न होने वाली डायबिटीज़ है, जो सामान्यत: डिलीवरी के बाद समाप्त हो जाती है।
इन दोनों प्रकार की डायबिटीज़ से नवजात शिशु के लिए कई स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था में उच्च रक्त शर्करा स्तर शिशु के विकास में बाधा डाल सकता है, और उसकी शारीरिक संरचनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, खासकर दिल पर।
नवजात शिशु के दिल पर डायबिटीज़ का प्रभाव
गर्भावस्था के दौरान यदि माँ की रक्त शर्करा का स्तर उच्च रहता है, तो शिशु को जन्म के समय विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इनमें से एक गंभीर समस्या शिशु के दिल से संबंधित होती है।
1. दिल की संरचनात्मक समस्याएँ
माँ की डायबिटीज़ शिशु के दिल की संरचना को प्रभावित कर सकती है। उच्च रक्त शर्करा के कारण शिशु के दिल में अनीमल्स (असामान्यताएँ) उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे उसे जन्म के समय या बाद में हृदय संबंधी विकार हो सकते हैं। इनमें से कुछ विकार जन्म के समय ही पहचाने जा सकते हैं, जबकि कुछ बाद में विकसित हो सकते हैं।
2. हृदय की कार्यक्षमता पर प्रभाव
जब माँ की डायबिटीज़ नियंत्रण में नहीं होती, तो शिशु का दिल सामान्य रूप से काम करने में कठिनाई महसूस कर सकता है। यह उसके रक्त प्रवाह और ऑक्सीजन स्तर को प्रभावित कर सकता है, जो शिशु के विकास में बाधा डाल सकता है।
3. हृदय की ऐंठन या अवरोध
कुछ नवजात शिशुओं को दिल की ऐंठन या अवरोध का सामना करना पड़ सकता है, जिसे डॉक्टरों की निगरानी और इलाज की आवश्यकता होती है।
विशेषज्ञों का कहना है
डॉक्टरों का मानना है कि गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज़ को नियंत्रण में रखना बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि शिशु की सेहत को किसी भी तरह के जोखिम से बचाया जा सके। डॉ. सीमा शर्मा, एक प्रमुख स्त्री रोग विशेषज्ञ, कहती हैं, “गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अपनी डायबिटीज़ का नियंत्रण सख्ती से रखना चाहिए। रक्त शर्करा का स्तर न केवल माँ की सेहत के लिए, बल्कि शिशु की शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।”
क्या किया जा सकता है?
माँ की डायबिटीज़ के प्रभाव को कम करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
- स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम: माँ को डायबिटीज़ के नियंत्रण के लिए स्वस्थ आहार का पालन करना चाहिए और नियमित व्यायाम करना चाहिए। इससे रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित रहता है।
- इंसुलिन की नियमित जांच और दवाइयाँ: डॉक्टर के द्वारा निर्धारित इंसुलिन और दवाइयों का नियमित सेवन किया जाए, ताकि शारीरिक प्रणाली पर कोई नकारात्मक असर न पड़े।
- गर्भावस्था में नियमित स्वास्थ्य जांच: गर्भवती महिलाओं को नियमित रूप से अपनी स्वास्थ्य जांच करानी चाहिए, ताकि कोई भी समस्या समय पर पहचानी जा सके।
निष्कर्ष
माँ की डायबिटीज़ नवजात शिशु के दिल को प्रभावित कर सकती है, लेकिन अगर इसका समय पर निदान और उचित इलाज किया जाए तो शिशु को इससे बचाया जा सकता है। गर्भवती महिलाओं को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए और विशेषज्ञों से नियमित परामर्श लेना चाहिए, ताकि शिशु को किसी भी प्रकार की हृदय संबंधी समस्या से बचाया जा सके।