Friday, April 25, 2025
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पहले साल में, बच्चे के साथ होने पर पति-पत्नी इन मुद्दों पर लड़ते हैं

बच्चे का जन्म परिवार में खुशियाँ लेकर आता है, लेकिन इसके साथ ही कुछ चुनौतियाँ भी आती हैं। बच्चे के पहले साल में, माँ और पिता को कई नए अनुभव होते हैं और इस दौरान कई बार आपस में असहमति और लड़ाई भी हो सकती है। यह संघर्ष आमतौर पर उन मुद्दों पर केंद्रित होते हैं, जो नए माता-पिता को दिन-प्रतिदिन के जीवन में उत्पन्न होते हैं। आइए जानते हैं कि पहले साल में माता-पिता किस प्रकार के मुद्दों पर लड़ते हैं:

1. नींद का अभाव

बच्चे के पहले साल में, माँ और पिता दोनों ही नींद की कमी महसूस करते हैं। नवजात शिशु को रात भर बार-बार जगना पड़ता है, जिससे माँ-पिता को पूरी नींद नहीं मिल पाती। ऐसे में, यह मुद्दा अक्सर आपस में लड़ाई का कारण बनता है। दोनों में से कौन अधिक थका हुआ है या किसे रात में बच्चे को संभालने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए, इस पर असहमति हो सकती है।

2. पारिवारिक दायित्व

बच्चे की देखभाल के दौरान घरेलू कामकाजी जिम्मेदारियाँ बढ़ जाती हैं। पत्नी या पति में से कौन घर के अन्य कामों को संभालेगा, इस पर भी अक्सर बहस हो सकती है। एक तरफ, माँ बच्चे के साथ अधिक समय बिता रही होती है, तो दूसरी तरफ, पिता बाहर काम करने जाते हैं, जिसके कारण दोनों के बीच तनाव उत्पन्न हो सकता है।

3. माता-पिता की शैली

हर व्यक्ति की पेरेंटिंग की शैली अलग होती है। कभी-कभी, एक माता-पिता को लगता है कि दूसरा सही तरीके से बच्चे की देखभाल नहीं कर रहा। यह असहमति बच्चे को लेकर उत्पन्न हो सकती है कि उसे कब और कैसे स्तनपान कराना चाहिए, उसे कैसे सुलाना चाहिए, या फिर उसकी देखभाल में किन तरीकों को अपनाया जाए।

4. भावनात्मक दबाव

बच्चे के जन्म के बाद, दोनों माता-पिता पर भावनात्मक दबाव बढ़ जाता है। माँ को तो पहले से ही शारीरिक और मानसिक थकावट होती है, और पिता भी अपने परिवार की जिम्मेदारी निभाने के दबाव में होते हैं। ऐसे में, तनाव बढ़ सकता है और छोटी-छोटी बातों पर भी लड़ाई हो सकती है।

5. अर्थव्यवस्था और खर्च

बच्चे के साथ जीवन में नए खर्च जुड़ते हैं जैसे कि डायपर, कपड़े, दूध, दवाइयाँ आदि। ऐसे में, आर्थिक दबाव भी एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। माता-पिता के बीच यह असहमति हो सकती है कि किस खर्च पर काबू पाया जाए या कहां कटौती की जाए।

6. समय का संतुलन

बच्चे की देखभाल में समर्पण की आवश्यकता होती है, और इस कारण अक्सर दोनों माता-पिता अपनी व्यक्तिगत जीवनशैली और एक-दूसरे के साथ समय बिताने में संघर्ष करते हैं। वे अपने आप को अकेला महसूस कर सकते हैं, क्योंकि अब उनके पास अपने रिश्ते के लिए समय नहीं होता।

7. स्वास्थ्य और ख्याल

नवजात शिशु के स्वास्थ्य को लेकर चिंता भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा हो सकता है। एक माता-पिता को लगता है कि बच्चा ठीक से विकसित नहीं हो रहा है या उसकी सेहत पर ध्यान नहीं दिया जा रहा, तो यह भी आपसी विवाद का कारण बन सकता है।

निष्कर्ष:

बच्चे के पहले साल में पति-पत्नी के रिश्ते पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। यह महत्वपूर्ण है कि आपसी समझ, सहयोग और संवाद से इन समस्याओं का समाधान निकाला जाए। दोनों को एक-दूसरे की भावनाओं और प्रयासों का सम्मान करना चाहिए और मिलकर बच्चे की देखभाल और घरेलू जिम्मेदारियों को साझा करना चाहिए, ताकि रिश्ते में प्यार और समर्पण बना रहे।

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