Sunday, April 20, 2025
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क्यों कम सोने वाले लोग ज्यादा बीमार पड़ते हैं?

हमारी सेहत के लिए अच्छी नींद बेहद जरूरी है। हालांकि, आजकल की तेज़-रफ़्तार ज़िंदगी और बढ़ते हुए काम के दबाव के कारण लोग अपनी नींद की अनदेखी कर रहे हैं। यह आदत शरीर के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। अक्सर देखा जाता है कि जो लोग कम सोते हैं, वे जल्दी बीमार पड़ते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? इस लेख में हम जानेंगे कि कम सोने से शरीर में क्या बदलाव आते हैं और यह कैसे बीमारियों को जन्म देता है।

1. इम्यून सिस्टम पर प्रभाव

नींद हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। जब हम अच्छी नींद लेते हैं, तो हमारा शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए जरूरी एंटीबॉडी और सेल्स का निर्माण करता है। लेकिन जब हम कम सोते हैं, तो इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, जिससे हम जल्दी बीमार हो सकते हैं। रिसर्च के अनुसार, जिन लोगों की नींद 6 घंटे से कम होती है, उन्हें सामान्य लोगों के मुकाबले सर्दी-जुकाम या फ्लू जैसी बीमारियाँ होने का खतरा 3 गुना अधिक होता है।

2. हॉर्मोनल असंतुलन

नींद की कमी शरीर में हॉर्मोनल असंतुलन का कारण बन सकती है। विशेष रूप से, स्ट्रेस हॉर्मोन ‘कोर्टिसोल’ का स्तर बढ़ जाता है, जिससे शरीर पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। इससे रक्तचाप बढ़ता है, हृदय की धड़कन तेज़ होती है, और तनाव का स्तर भी ऊँचा होता है। इसका परिणाम यह होता है कि शरीर का सामान्य कार्यकुशलता प्रभावित होती है, और बीमारियों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है।

3. मेटाबोलिज्म में बदलाव

कम सोने से शरीर का मेटाबोलिज़्म भी प्रभावित होता है। शरीर के भीतर ग्लूकोज की पाचन क्रिया धीमी हो जाती है, जिससे शरीर में शर्करा का स्तर बढ़ सकता है। इससे इंसुलिन प्रतिरोध (insulin resistance) हो सकता है, जो दीर्घकालिक रूप से डायबिटीज और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।

4. मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

नींद की कमी न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है। कम नींद लेने से अवसाद, चिंता और अन्य मानसिक समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। यह मानसिक तनाव शरीर को और कमजोर करता है, जिससे व्यक्ति बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है।

5. शरीर की मरम्मत में रुकावट

जब हम सोते हैं, शरीर अपने भीतर की मरम्मत प्रक्रिया करता है। यह मांसपेशियों की मरम्मत, कोशिकाओं की पुनः उत्पत्ति, और अन्य शारीरिक कार्यों को बेहतर करने का समय होता है। लेकिन जब हम पर्याप्त नींद नहीं लेते, तो यह मरम्मत प्रक्रिया बाधित होती है, और शरीर अपनी सामान्य कार्यप्रणाली में समस्याएँ महसूस करता है।

निष्कर्ष:

हमारी सेहत के लिए नींद का महत्व किसी भी अन्य चीज़ से कम नहीं है। कम सोने से शरीर की विभिन्न कार्यप्रणालियाँ प्रभावित होती हैं, जिससे बीमारियाँ जल्दी हमें घेर लेती हैं। इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने सोने के समय का ध्यान रखें और कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें। इससे हम न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ रहेंगे, बल्कि मानसिक रूप से भी ताजगी महसूस करेंगे।

स्वस्थ जीवन के लिए सही नींद लें, और बीमारियों से बचें।

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