Sunday, February 23, 2025
Miss Vidhya
HomeReal Talkबहू को बेटी और बेटी को पराया धन मानने की जगह बेटा-बेटी...

बहू को बेटी और बेटी को पराया धन मानने की जगह बेटा-बेटी और बहू-दामाद को समझें बराबर, तब होगा सब सही

समाज में परिवार का महत्व बहुत अधिक है, और एक परिवार का ढांचा उसके सदस्यओं की सोच और व्यवहार से प्रभावित होता है। अक्सर हमारे समाज में कुछ प्रथाएँ और विचारधाराएँ ऐसी होती हैं जो परिवार में असंतुलन और समस्याओं को जन्म देती हैं। इनमें से एक बड़ी समस्या है, बहू को बेटी के समान मानने का दृष्टिकोण और बेटी को किसी और के परिवार की संपत्ति समझने की मानसिकता। यह सोच समाज में गहरे नकारात्मक प्रभाव डालती है और रिश्तों में खटास लाती है।

समाज में यह देखा जाता है कि जब बहू घर में प्रवेश करती है तो उसे बेटी के समान माना जाता है, लेकिन कई बार उसे परिवार का बराबरी का अधिकार नहीं मिलता। इसके विपरीत, कई परिवारों में बेटी को हमेशा पराया माना जाता है, भले ही वह अपने माता-पिता के घर में रहे। इस सोच को बदलने की जरूरत है।

बहू को बेटी और बेटी को किसी अन्य की संपत्ति न समझें

यदि हम बहू को बेटी की तरह समान रूप से देखेंगे, तो घर में हर सदस्य को सम्मान और प्यार मिलेगा। बहू भी अपने घर में उतना ही अधिकार रखेगी जितना कि एक बेटी को होता है। इसके साथ ही, यह मानसिकता बदलनी चाहिए कि बेटी किसी और के घर की सदस्य है। हमें उसे भी अपने परिवार का हिस्सा मानना चाहिए, क्योंकि एक दिन वह भी किसी के घर बहू बनकर जाएगी। जब हम अपने घर की बेटी को और बाहर से आई बहू को समान नजरिए से देखेंगे, तो घर के रिश्ते और परिवार मजबूत होंगे।

समानता की भावना को बढ़ावा दें

अगर हम बेटा-बेटी, बहू और दामाद को समान मानें, तो परिवार के भीतर रिश्तों की समझ बेहतर होगी। एक बेटी को केवल अपने माता-पिता का नहीं बल्कि अपने ससुराल का भी समान अधिकार और सम्मान मिलना चाहिए। इसी प्रकार, बहू को भी वह सभी अधिकार और प्रेम मिलना चाहिए, जो किसी बेटी को अपने माता-पिता से मिलता है।

समानता का मतलब यह नहीं है कि हर किसी को एक जैसा करने की कोशिश करें, बल्कि यह है कि हर सदस्य की अपनी जगह और अहमियत को समझा जाए। बेटा-बेटी, बहू और दामाद सभी परिवार के अहम हिस्से हैं और इन्हें सम्मान मिलना चाहिए।

समाज का दायित्व

समाज को यह जिम्मेदारी निभानी चाहिए कि वह परिवारों में समानता और सम्मान की भावना को बढ़ावा दे। हमें यह समझने की जरूरत है कि न केवल लड़के बल्कि लड़कियाँ भी परिवार का अभिन्न हिस्सा हैं, और जब हम सभी को बराबरी का दर्जा देंगे, तो रिश्तों में स्थिरता और सामंजस्य रहेगा।

निष्कर्ष

आखिरकार, परिवार का संतुलन तभी बनाए रखा जा सकता है जब हम बेटा-बेटी, बहू और दामाद को समान दृष्टिकोण से देखें। यह न केवल परिवार के भीतर शांति बनाए रखेगा, बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक संदेश जाएगा। जब हम एक-दूसरे को सम्मान देंगे और हर सदस्य को बराबरी का हक देंगे, तब परिवार और समाज में सब कुछ सही होगा।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Miss Vidhya

Most Popular

Recent Comments