Friday, April 25, 2025
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ब्लेम गेम! 10 बातें जिनके लिए महिलाओं पर बिना वजह उंगली उठाई जाती है, जबकि वे दोषी नहीं होतीं

समाज में अक्सर महिलाओं को अनावश्यक रूप से दोषी ठहराया जाता है। यह एक ऐसा विषय है जिसे हमें समझने और सुधारने की आवश्यकता है। महिलाओं को जिन 10 चीज़ों के लिए बिना वजह दोषी ठहराया जाता है, उनके बारे में हम बात करेंगे:

1. परिवार के झगड़ों में महिलाओं को दोष देना

घर के अंदर किसी भी समस्या या झगड़े के लिए अक्सर महिलाओं को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है, चाहे वह कोई भी कारण हो। परिवार के रिश्तों में तनाव, बच्चे की पढ़ाई में कठिनाई, या पति-पत्नी के बीच मतभेद – अक्सर महिलाएं इन समस्याओं के लिए दोषी ठहराई जाती हैं, जबकि इसका कोई सीधा संबंध महिला से नहीं होता।

2. महिलाओं की वर्किंग लाइफ को लेकर आलोचना

अगर एक महिला कामकाजी है, तो उसे अक्सर यह आरोप सहना पड़ता है कि वह घर की देखभाल नहीं कर पा रही है। परिवार और करियर के बीच संतुलन बनाना हर किसी के लिए कठिन है, लेकिन महिलाएं हमेशा इसे लेकर आलोचना की शिकार होती हैं।

3. माँ बनने के बाद करियर छोड़ने के लिए दबाव

एक महिला जब माँ बनती है, तो उसे अक्सर यह महसूस कराया जाता है कि उसे अपना करियर छोड़ देना चाहिए और केवल बच्चों की देखभाल करनी चाहिए। यह दबाव समाज द्वारा उस पर डाला जाता है, जबकि यह उसका व्यक्तिगत निर्णय होना चाहिए।

4. रिश्तों में अपनी स्थिति को लेकर प्रश्न उठाना

अगर कोई महिला किसी रिश्ते में खुश नहीं है, तो उसे दोषी ठहराया जाता है। समाज यह मानने को तैयार नहीं होता कि कभी-कभी रिश्ते में दो लोगों का बराबरी से योगदान होता है और किसी एक को पूरी तरह दोषी ठहराना गलत है।

5. महिलाओं की कपड़े पहनने की पसंद पर टिप्पणियां

महिलाओं को अक्सर उनके कपड़े पहनने की पसंद पर आलोचना का सामना करना पड़ता है। यदि एक महिला छोटे कपड़े पहनती है तो उसे “कूल” या “असभ्य” समझा जाता है, जबकि यही किसी पुरुष के लिए एक सामान्य बात होती है।

6. दूसरों के परिवार की तुलना में अपनी स्थिति को लेकर सवाल उठाना

कभी-कभी महिलाएं अपनी स्थिति या जीवनशैली को लेकर तुलना करने पर दोषी ठहराई जाती हैं, खासकर जब उनके पास कोई खास संपत्ति या जीवनशैली नहीं होती। यह समाज का एक बड़ा दोष है, जो महिलाओं को उनका स्थान और स्थिति तय करने में मदद नहीं करता।

7. आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने पर आरोप

अगर कोई महिला आर्थिक रूप से स्वतंत्र है और अपने फैसले खुद लेती है, तो उसे अक्सर “अत्यधिक स्वतंत्र” या “निर्दयी” कहा जाता है। यह महिलाओं की आज़ादी को दबाने के लिए किया जाता है।

8. शादी के बाद परिवार के नियमों का पालन न करने पर आलोचना

शादी के बाद महिलाओं पर यह दबाव डाला जाता है कि उन्हें परिवार के पुराने रिवाजों और परंपराओं का पालन करना चाहिए। अगर कोई महिला इन परंपराओं का पालन नहीं करती, तो उसे आलोचना का सामना करना पड़ता है, चाहे उसके पास वैध कारण हो।

9. पुरुषों के मुकाबले नेतृत्व की भूमिका में कम महिलाओं को देखना

अगर एक महिला नेतृत्व की भूमिका में होती है, तो उसे आलोचना का सामना करना पड़ता है। यह समाज की मानसिकता का हिस्सा है, जो पुरुषों को नेतृत्व के लिए अधिक सक्षम मानता है। महिलाओं को अक्सर इन भूमिकाओं में कामयाब होने के बावजूद आलोचना का सामना करना पड़ता है।

10. पति के साथ सम्बन्धों में अव्यवस्था के लिए पत्नी को जिम्मेदार ठहराना

किसी भी रिश्ते में समस्याओं या अनबन के लिए महिला को हमेशा दोषी ठहराया जाता है, जबकि यह रिश्ते में दोनों की जिम्मेदारी होती है। समाज में यह धारणा बनाई जाती है कि अगर एक रिश्ते में दिक्कत है तो पत्नी ही जिम्मेदार होती है।

निष्कर्ष: समाज में महिलाओं के प्रति यह गलत धारणा है कि वे हमेशा हर समस्या का कारण होती हैं। यह स्थिति बदलनी चाहिए, और महिलाओं को उनके फैसले लेने की स्वतंत्रता और समान सम्मान मिलना चाहिए। हमें यह समझने की जरूरत है कि महिलाएं समाज का अभिन्न हिस्सा हैं और उन्हें समान अवसर, सम्मान और अधिकार मिलना चाहिए।

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