Sunday, February 23, 2025
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क्या है मानसिक समस्या ADHD, जिसे भारत में हर चौथा बच्चा भुगत रहा है?

ADHD (Attention Deficit Hyperactivity Disorder) एक मानसिक समस्या है, जो बच्चों में सामान्यत: देखी जाती है। इसे ध्यान कमी और अति सक्रियता विकार भी कहा जाता है। यह विकार बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास में प्रभाव डालता है और उनकी पढ़ाई, सामाजिक जीवन और व्यवहार पर असर डालता है। भारत में यह विकार तेजी से बढ़ रहा है, और आंकड़े बताते हैं कि हर चौथा बच्चा इस समस्या से प्रभावित हो सकता है।

ADHD के लक्षण

ADHD के लक्षण विभिन्न रूपों में सामने आ सकते हैं। इनमें मुख्य रूप से तीन प्रमुख लक्षण होते हैं:

  1. ध्यान की कमी (Inattention)
    • बच्चे किसी भी काम को ध्यान से नहीं कर पाते हैं।
    • उन्हें पढ़ाई या अन्य गतिविधियों में ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल होती है।
    • वे छोटी-छोटी बातों पर ध्यान नहीं देते और जल्दी बोर हो जाते हैं।
  2. अत्यधिक सक्रियता (Hyperactivity)
    • बच्चे हमेशा ग़ुस्से में रहते हैं और अपने स्थान पर बैठने में मुश्किल महसूस करते हैं।
    • वे लगातार दौड़ते-भागते रहते हैं, और शांत बैठने की बजाय हमेशा गतिमान रहते हैं।
  3. आक्रामक व्यवहार (Impulsivity)
    • बच्चे अक्सर बिना सोचे-समझे फैसले लेते हैं।
    • वे किसी चीज़ को जल्दी करने के लिए या बिना सोचे समझे किसी दूसरे का काम बाधित कर सकते हैं।

ADHD का कारण

ADHD के कारणों का पूरी तरह से पता नहीं चल सका है, लेकिन शोध बताते हैं कि यह समस्या जीन, मस्तिष्क की संरचना, और पर्यावरणीय कारकों से प्रभावित हो सकती है। माता-पिता के बीच मानसिक तनाव, या बचपन में मस्तिष्क की चोटें भी ADHD का कारण बन सकती हैं।

भारत में ADHD का प्रभाव

भारत में ADHD के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। शहरी क्षेत्रों में इसे जल्दी पहचान लिया जाता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या आमतौर पर छिपी रहती है। इसके कारण बच्चों का अकादमिक प्रदर्शन प्रभावित होता है और सामाजिक रिश्तों में भी परेशानी आती है। अधिकतर मामलों में, बच्चों को मानसिक रूप से समर्थन की आवश्यकता होती है, जो वे परिवार या स्कूल से नहीं प्राप्त कर पाते हैं।

ADHD का उपचार

ADHD का उपचार एक समग्र दृष्टिकोण से किया जाता है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय प्रभावी हो सकते हैं:

  1. दवाइयाँ
    डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाइयाँ ADHD के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं। ये दवाइयाँ बच्चों को शांत करने और ध्यान केंद्रित करने में सहायक होती हैं।
  2. व्यवहार चिकित्सा
    बच्चे को अच्छे व्यवहार के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और नकारात्मक व्यवहार को बदलने की कोशिश की जाती है। यह बच्चों की मानसिक स्थिति में सुधार करने में मदद करता है।
  3. माता-पिता और शिक्षक प्रशिक्षण
    माता-पिता और शिक्षकों को ADHD के बारे में जानकारी दी जाती है ताकि वे बच्चे के व्यवहार को सही दिशा में मार्गदर्शन कर सकें। उनके समर्थन से बच्चों को बेहतर तरीके से मदद मिल सकती है।
  4. शारीरिक गतिविधियाँ
    नियमित शारीरिक गतिविधियाँ जैसे खेल, योग, और ध्यान बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकती हैं।

ADHD को लेकर समाज में जागरूकता की आवश्यकता

ADHD को लेकर समाज में जागरूकता बढ़ाना जरूरी है ताकि इसके लक्षणों की जल्दी पहचान हो सके और बच्चों को सही समय पर मदद मिल सके। साथ ही, मानसिक समस्याओं को लेकर समाज में होने वाली गलत धारणाओं को भी खत्म करना आवश्यक है। ADHD को एक सामान्य विकार के रूप में समझना और बच्चों को मानसिक समर्थन देना बहुत महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

ADHD एक गंभीर मानसिक विकार है, जिसे समय पर पहचानना और सही उपचार करवाना बहुत जरूरी है। भारत में इस विकार के बढ़ते मामलों को देखते हुए, हमें बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए। इसके लिए सही उपचार, जागरूकता, और परिवार एवं स्कूल का समर्थन बेहद आवश्यक है, ताकि बच्चों का समग्र विकास हो सके और वे समाज में सफलता प्राप्त कर सकें।

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