परिचय: आजकल के तेज़-तर्रार कारोबारी माहौल में, हम अक्सर सुनी होती हैं कि “काम से अनुपस्थित होना नहीं चाहिए,” या “काम पर आना ही काफी नहीं है, आपको वहां सक्रिय और उत्पादक भी रहना चाहिए।” लेकिन क्या होता है जब हम काम पर तो होते हैं, लेकिन मानसिक या शारीरिक रूप से उपस्थित नहीं होते? इसे ही “प्रेजेंटिज़्म” कहा जाता है। प्रेजेंटिज़्म का मतलब है काम पर उपस्थित होना, जबकि कर्मचारी मानसिक या शारीरिक रूप से काम करने के लिए पूरी तरह से सक्षम नहीं होता।
प्रेजेंटिज़्म का प्रभाव:
- उत्पादकता में गिरावट: जब कर्मचारी अपनी पूर्ण क्षमता से काम नहीं कर पाता, तो इसका सीधा असर उसके काम की गुणवत्ता और उत्पादकता पर पड़ता है। उदाहरण के लिए, अगर कोई कर्मचारी थका हुआ है या बीमार है, तो वह अपने काम को सही तरीके से नहीं कर पाएगा।
- स्वास्थ्य पर असर: लंबे समय तक कार्यस्थल पर उपस्थित रहते हुए भी मानसिक या शारीरिक रूप से काम में न लगे रहने से कर्मचारियों की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे मानसिक तनाव, चिंता, और अवसाद जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- काम का दबाव: जब कोई कर्मचारी सिर्फ शारीरिक रूप से काम पर आता है, तो बाकी के कर्मचारियों को उसकी अनुपस्थिति की भरपाई करनी पड़ती है। इससे टीम पर अतिरिक्त दबाव बढ़ जाता है और बाकी के कर्मचारियों के कार्यभार में वृद्धि हो जाती है।
प्रेजेंटिज़्म के कारण:
- संस्थागत दबाव: कई बार कर्मचारियों को लगता है कि वे काम पर न जाने पर अपनी नौकरी खो सकते हैं या उनके प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण बन सकता है। इससे वे काम पर आते हैं, भले ही वे स्वस्थ या मानसिक रूप से तैयार न हों।
- संस्कृति का हिस्सा बनना: कुछ कार्यस्थलों पर इस प्रकार की संस्कृति बन जाती है कि “काम पर आना” ही सबसे महत्वपूर्ण है, न कि काम की गुणवत्ता या कर्मचारी की भलाई। ऐसी स्थिति में कर्मचारी अपनी सेहत और मानसिक स्थिति की अनदेखी करते हैं, बस काम पर उपस्थित रहने के लिए।
- लोगों का डर: कुछ कर्मचारियों को अपने सहकर्मियों या मैनेजर से यह डर होता है कि अगर वे काम पर नहीं आएंगे तो उनका करियर प्रभावित हो सकता है, जिससे वे मजबूरी में कार्यस्थल पर आकर बैठे रहते हैं।
प्रेजेंटिज़्म की कीमत: किसी भी संगठन के लिए प्रेजेंटिज़्म की कीमत बहुत अधिक हो सकती है। उत्पादन क्षमता की कमी, कर्मचारियों की बढ़ती बीमारियाँ, मानसिक समस्याएँ और लंबी अवधि में कार्यस्थल की नकारात्मक संस्कृति, ये सब संगठन के लिए भारी साबित हो सकते हैं। इसके अलावा, काम के दबाव और तनाव के कारण कर्मचारियों की संतुष्टि और वफादारी में कमी आ सकती है, जो अंततः संगठन की सफलता पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
समाधान और रोकथाम:
- स्वास्थ्य और कल्याण कार्यक्रम: कंपनियों को कर्मचारियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए। कर्मचारियों को नियमित ब्रेक्स और स्वास्थ्य संबंधित सहायता देने से प्रेजेंटिज़्म को रोका जा सकता है।
- खुली संवाद संस्कृति: कर्मचारियों को यह महसूस कराना चाहिए कि वे अगर बीमार हैं या मानसिक रूप से थके हुए हैं, तो उन्हें आराम करने की अनुमति है, और उनकी अनुपस्थिति से संगठन पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।
- लचीली कार्य नीतियाँ: लचीले कार्य घंटे और घर से काम करने की सुविधाएँ कर्मचारियों को अपने स्वास्थ्य के अनुसार काम करने का अवसर देती हैं, जिससे प्रेजेंटिज़्म की संभावना कम होती है।
निष्कर्ष: प्रेजेंटिज़्म केवल एक व्यक्ति की समस्या नहीं, बल्कि यह संगठन की समग्र कार्यप्रणाली और संस्कृति को प्रभावित करने वाला गंभीर मुद्दा है। इसे प्रभावी ढंग से संभालने के लिए, कंपनियों को कर्मचारियों के स्वास्थ्य, मानसिक स्थिति, और संतुष्टि को प्राथमिकता देनी चाहिए। इसके साथ ही, कर्मचारियों को यह महसूस कराना चाहिए कि उनके स्वास्थ्य की रक्षा करना सबसे महत्वपूर्ण है, ताकि वे वास्तव में अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन कर सकें, न कि सिर्फ दिखावे के लिए उपस्थित रहें।