Sunday, February 23, 2025
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सैटेलाइट फोन और मोबाइल फोन में क्या अंतर है? जानिए ये कैसे काम करते हैं

आजकल मोबाइल फोन हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं, जिनके बिना हम अपनी दिनचर्या की कल्पना भी नहीं कर सकते। लेकिन जब हम किसी दूरदराज या असंवेदनशील इलाकों में होते हैं, तो मोबाइल नेटवर्क की कमी के कारण हम एक-दूसरे से संपर्क नहीं कर पाते। इसी समस्या का समाधान सैटेलाइट फोन द्वारा किया जाता है। आइए जानते हैं कि सैटेलाइट फोन और मोबाइल फोन में क्या अंतर है और ये कैसे काम करते हैं।

1. सैटेलाइट फोन और मोबाइल फोन में अंतर

  • नेटवर्क कनेक्टिविटी: मोबाइल फोन सामान्यत: जमीन पर आधारित मोबाइल टॉवर से कनेक्ट होते हैं। ये टॉवर शहरों और ग्रामीण इलाकों में स्थित होते हैं और इसी नेटवर्क के माध्यम से कॉल्स और डेटा सेवाएं प्रदान करते हैं। इसके मुकाबले, सैटेलाइट फोन सीधे उपग्रहों (satellites) से कनेक्ट होते हैं, जो पृथ्वी के चारों ओर अंतरिक्ष में स्थित होते हैं। इसलिए, सैटेलाइट फोन किसी भी स्थान से संपर्क कर सकते हैं, भले ही वहां मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध न हो।
  • कवर क्षेत्र: मोबाइल फोन केवल उन क्षेत्रों में काम करता है जहां मोबाइल नेटवर्क की कनेक्टिविटी होती है। यह आमतौर पर शहरी और कुछ दूरदराज ग्रामीण इलाकों में काम करता है। लेकिन सैटेलाइट फोन का नेटवर्क पूरी दुनिया में काम करता है, बशर्ते आपको खुला आकाश दिखे, जैसे समुद्र, पर्वत क्षेत्र, या दूरदराज के इलाके।
  • संचार माध्यम: मोबाइल फोन में बूस्टेड रेडियो सिग्नल्स का उपयोग होता है, जो मोबाइल टॉवर से जुड़े होते हैं। वहीं, सैटेलाइट फोन में उपग्रह का उपयोग होता है, जो पृथ्वी के चारों ओर घूमते रहते हैं। इन उपग्रहों से फोन का सिग्नल सीधा संचारित होता है।

2. सैटेलाइट फोन कैसे काम करता है?

सैटेलाइट फोन का काम करने का तरीका बहुत साधारण है, लेकिन इसके लिए उपग्रह नेटवर्क की आवश्यकता होती है। इसे निम्नलिखित तरीके से समझा जा सकता है:

  • सिग्नल ट्रांसमिशन: जब आप सैटेलाइट फोन से कॉल करते हैं, तो आपका फोन सिग्नल को सीधे आसमान में स्थित उपग्रह को भेजता है। इस उपग्रह से सिग्नल फिर पृथ्वी पर स्थित उपयुक्त गेटवे स्टेशन को भेजा जाता है।
  • गेटवे स्टेशन: गेटवे स्टेशन वह जगह होती है जहां उपग्रह सिग्नल को मोबाइल नेटवर्क या अन्य संचार नेटवर्क में बदल दिया जाता है। यह एक प्रकार से संचार का ब्रिज होता है, जो सैटेलाइट सिग्नल को ज़मीन पर उपलब्ध नेटवर्क में ट्रांसफर करता है।
  • सिग्नल रिसीविंग: जब कॉल रिसीव होता है, तो वही प्रक्रिया उल्टी दिशा में होती है। सिग्नल उपग्रह से गेटवे स्टेशन पर पहुंचता है, फिर वहां से यह सिग्नल सैटेलाइट फोन तक पहुंचता है।

3. सैटेलाइट फोन के फायदे

  • अत्यधिक दूरदराज क्षेत्रों में काम: सैटेलाइट फोन उन इलाकों में भी काम करता है जहां मोबाइल नेटवर्क पहुंच नहीं पाता।
  • आपातकालीन स्थितियों में उपयोगी: भूकंप, बाढ़ या किसी आपातकालीन स्थिति में, जब सभी अन्य संचार माध्यम काम नहीं करते, सैटेलाइट फोन आपके लिए एक lifeline साबित हो सकता है।
  • विश्व स्तर पर कनेक्टिविटी: यह किसी भी जगह से बात करने की सुविधा प्रदान करता है, चाहे आप समुद्र के बीच हो या पर्वतीय क्षेत्रों में।

4. सैटेलाइट फोन के नुकसान

  • उच्च लागत: सैटेलाइट फोन का उपयोग महंगा होता है, खासकर कॉल दरों के मामले में। इसके अलावा, इन फोन को खरीदने की कीमत भी मोबाइल फोन से कहीं अधिक हो सकती है।
  • अंतरिक्ष में दृश्यता: सैटेलाइट फोन का सिग्नल एक खुले आकाश की दिशा में सबसे अच्छा काम करता है, जिससे अगर आप किसी बंद स्थान में हों तो नेटवर्क समस्याएं आ सकती हैं।
सैटेलाइट फोन और मोबाइल फोन में क्या अंतर है? जानिए ये कैसे काम करते हैं
Image: pinterest

निष्कर्ष

सैटेलाइट फोन और मोबाइल फोन के बीच मुख्य अंतर यह है कि मोबाइल फोन केवल मोबाइल टॉवर नेटवर्क पर निर्भर करता है, जबकि सैटेलाइट फोन उपग्रहों के माध्यम से संचार करता है। यदि आप किसी दूरदराज क्षेत्र में हैं जहां सामान्य मोबाइल नेटवर्क नहीं पहुंच पाता, तो सैटेलाइट फोन एक प्रभावी और विश्वसनीय विकल्प है। हालांकि, इसके साथ जुड़ी लागत और सीमाएं भी हैं, जिनका ध्यान रखना जरूरी है।

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