सर्दियों के मौसम में जब ठंड बढ़ती है, तो शरीर के अंगों पर दबाव बढ़ने लगता है, खासकर यूरिनरी सिस्टम पर। कई लोग खाँसने और छींकने के दौरान पेशाब की कुछ बूंदों को अनायास गिरते हुए महसूस करते हैं। यह स्थिति विशेष रूप से महिलाओं में आम है और इसे “यूरेनरी इनकंटिनेंस” या पेशाब की आवेग स्थिति कहा जाता है। हालांकि यह एक सामान्य समस्या हो सकती है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। योगासन इसके लिए एक प्रभावी और सुरक्षित उपाय हो सकते हैं।
यहां हम दो प्रमुख योगासनों के बारे में जानेंगे, जिन्हें नियमित रूप से करके इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
1. मलासन (Malasana)
मलासन एक बैठने का योगासन है, जो पेल्विक मसल्स और जांघों को मजबूत बनाता है। यह शरीर के निचले हिस्से में खून के प्रवाह को बढ़ाता है और मूत्राशय को भी ठीक तरह से कार्य करने में मदद करता है। यह खाँसने और छींकने के दौरान पेशाब की बूंदों को गिरने से रोकने में सहायक हो सकता है।
कैसे करें मलासन:
- सीधे खड़े होकर, दोनों पैरों को कंधे की चौड़ाई पर फैलाएं।
- घुटनों को मोड़ते हुए नीचे की ओर बैठें, जैसे कि आप squat करने जा रहे हों।
- हाथों को जोड़ें और छाती के पास नमस्कार मुद्रा में रखें।
- निचले हिस्से में हल्का खिंचाव महसूस करते हुए स्थिति में 30 सेकंड से 1 मिनट तक रहें।
2. कपालभाती प्राणायाम (Kapalbhati Pranayama)
कपालभाती प्राणायाम एक श्वास नियंत्रण की तकनीक है, जो शरीर के अंदरूनी अंगों को मजबूती प्रदान करती है। यह खासतौर पर पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता है, जो मूत्राशय के नियंत्रण में सहायक होते हैं। खाँसी और छींकने के दौरान पेशाब की बूंदें गिरने की समस्या को इस प्राणायाम से नियंत्रित किया जा सकता है।
कैसे करें कपालभाती प्राणायाम:
- आराम से बैठ जाएं और अपनी रीढ़ को सीधा रखें।
- गहरी श्वास लें और फिर तेजी से नाक से श्वास छोड़ें। श्वास छोड़ते समय पेट को अंदर की ओर खींचें।
- इस प्रक्रिया को 10-15 बार दोहराएं और फिर धीरे-धीरे श्वास की गति को सामान्य करें।
निष्कर्ष
सर्दियों में खाँसने और छींकने के दौरान पेशाब की बूंदों का गिरना एक सामान्य समस्या है, लेकिन इसे योगासनों के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है। मलासन और कपालभाती प्राणायाम जैसे योगासन न केवल मूत्राशय के नियंत्रण में मदद करते हैं, बल्कि शरीर की संपूर्ण सेहत को भी बढ़ावा देते हैं। इन योगासनों को नियमित रूप से करने से इस समस्या पर स्थायी नियंत्रण पाया जा सकता है।