Saturday, July 5, 2025
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अगर कोई मानसिक बीमारी से जूझ रहा है, तो इन शब्दों का इस्तेमाल करने से बचें

मानसिक स्वास्थ्य आज के समय में एक महत्वपूर्ण विषय बन चुका है। लेकिन हमारे समाज में मानसिक बीमारियों को लेकर जागरूकता की कमी है। इसके चलते कई बार हम अनजाने में ऐसे शब्द या वाक्य कह देते हैं जो सामने वाले व्यक्ति के लिए चोटिल या हानिकारक हो सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति मानसिक बीमारी से जूझ रहा है, तो हमें संवेदनशील और समझदार होना चाहिए। ऐसे में कुछ खास शब्दों और बातों से बचना जरूरी है।

1. “तुम पागल हो गए हो?”

यह सबसे आम और नुकसानदायक वाक्य है। किसी को पागल कहना उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचा सकता है। यह वाक्य मानसिक स्वास्थ्य के प्रति आपके असंवेदनशील दृष्टिकोण को भी दिखाता है।

2. “तुम बस ध्यान भटकाओ, सब ठीक हो जाएगा।”

किसी को यह कहना कि उनकी समस्याएं ध्यान भटकाने से खत्म हो जाएंगी, उनकी स्थिति को हल्के में लेना है। मानसिक बीमारी एक वास्तविक और गंभीर समस्या होती है, जिसे पेशेवर सहायता और समझ की जरूरत होती है।

3. “तुम्हारे पास तो सब कुछ है, फिर भी क्यों परेशान हो?”

यह व्यक्ति के दर्द और संघर्ष को नजरअंदाज करने जैसा है। मानसिक स्वास्थ्य का धन, संपत्ति या जीवन की परिस्थितियों से सीधा संबंध नहीं होता।

4. “तुम इतना नकारात्मक क्यों सोचते हो?”

यह वाक्य सामने वाले व्यक्ति को और अधिक दोषी महसूस कराता है। मानसिक बीमारी के दौरान नकारात्मक सोच आना सामान्य है। उन्हें सकारात्मकता के लिए प्रेरित करना सही है, लेकिन उनके विचारों को आलोचना करना गलत है।

5. “तुम तो हमेशा ऐसा ही करते हो।”

मानसिक बीमारियों में व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव हो सकता है। ऐसे में उन्हें उनके पुराने व्यवहार से जोड़कर आलोचना करना उनकी स्थिति को और खराब कर सकता है।

6. “बस खुश रहो, सब ठीक हो जाएगा।”

खुश रहना अच्छा है, लेकिन यह कहना कि खुश रहने से मानसिक बीमारी ठीक हो जाएगी, समस्या को जटिल बना देता है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए इलाज, समर्थन और समय की जरूरत होती है।

कैसे करें समर्थन?

  • सहानुभूति दिखाएं: किसी की समस्या को समझने और महसूस करने की कोशिश करें।
  • सुनें: बिना किसी निर्णय के उनकी बातें सुनें।
  • सहायता का सुझाव दें: यदि जरूरी हो, तो उन्हें पेशेवर मदद लेने के लिए प्रेरित करें।
  • प्रोत्साहित करें: उन्हें यह अहसास दिलाएं कि वे अकेले नहीं हैं।

मानसिक स्वास्थ्य को लेकर हमारी भाषा और व्यवहार बेहद अहम भूमिका निभाते हैं। जब हम संवेदनशील और सहायक बनते हैं, तो हम किसी की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।

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